Lingastakam with lyrics - Pujya Rameshbhai Oza

preview_player
Показать описание
lएजुकेशनल और धार्मिक चैनल हैजिसका उद्देश्य धर्म का प्रचार प्रसार करना है सभी देवताओं के स्तुति मंत्र और भजन यूट्यूब चैनल पर लॉकर जन जन तक पहुंचाना मेरा उद्देश्य है

नमस्कार दोस्तों आप लोग कैसे हैं आशा करता हूं आप लोग स्वस्थ और सकुशल होंगे

आप लोगों से विनम्र प्रार्थना है कि आप मेरे चैनल को लाइक शेयर सब्सक्राइब जरूर करें और बैल की घंटी बजाना ना भूलें और कोई सुझाव हो तो कमेंट जरूर करें

मुझसे जुड़ने के लिए
संदीप भक्ति संसार यूट्यूब चैनल
Gmail

+917906909836
+919450500002

Important Notice
Credit for t series

These All Things Copyright We just Editing and publish to Audience for entertainment purpose only.

All Right To Above Movie Label &, No Copyrights Infringement Intended We are Not Earning any Money with This Content. Their Respective Content Owner will get all Earning of this Content.

All Right Reserved to the Respective Owner

Email

लिंगाष्टकम/Lingashtakam

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गम् निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥
उस सदाशिवलिंगको मैं प्रणाम करता हूं जो शाश्वत शिव है, जिनकी अर्चना स्वयं ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवता करते हैं, जो निर्मल, सुशोभित है और जो जन्मके दुखोंका विनाश करती है |

देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गम् कामदहम् करुणाकरलिङ्गम् । रावणदर्पविनाशनलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
२॥

उस शाश्वत एवं करुणाकर सदाशिवलिंगको मैं प्रणाम करता हूं जिनकी अर्चना देवता, ऋषि-मुनि करते हैं, जिन्होंने कामदेवका दहन किया एवं जिन्होंने रावणके अहंकारको नष्ट किया |

सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गम् बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् । सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥

उन सदाशिवलिंगको प्रणाम करता हूं जो सदैव सुगंधमय, सुलेपित, बुधिवर्धक, सिद्धों, सुरों, असुरोंद्वारा पूजित है|

कनकमहामणिभूषितलिङ्गम् फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् । दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्
॥४॥

उस सदशिवलिंगको प्रणाम करता हूं जो स्वर्ण तथा महामणिसे भूषित है, सर्पराजद्वारा शोभित होनेके कारण दैदीप्यमान है, दक्षयज्ञको विनाश करनेवाला है |

कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गम् पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् । सञ्चितपापविनाशनलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥५॥

उस सदशिवलिंगको प्रणाम करता हूं जो कुकुंम, चंदनके लेपसे सुशोभित, कमलोंके हारसे सुसज्जित, संचित पापोंके विनाशक है |

देवगणार्चितसेवितलिङ्गम् भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् । दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥६॥

उस सदशिवलिंगको प्रणाम करता हूं जो देवगणोंद्वारा अर्चित, सेवित है, जिसे भाव और भक्तिसे प्राप्त किया जा सकता है एवं जो करोडों सूर्यके सामान प्रकाशवान है |

अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गम् सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् । अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥७॥
उस सदशिवलिंगको प्रणाम करता हूं जो अष्टदलसे परिवेष्टित, समस्त जगतकी उत्पतिका कारण, अष्ट दरिद्रका नाशक है |

सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गम् सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् । परात्परं परमात्मकलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥८॥

उस सदशिवलिंगको प्रणाम करता हूं ओ देवताओंके गुरुद्वारा, श्रेष्ठ देवताओंद्वारा एवं देवों के वनके पुष्पद्वारा पूजित है, जो परात्पर, परमात्म स्वरूपी लिंग है |

लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ । शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

जो इस पवित्र लिंगाष्टकको पढता है शिवके सान्निध्यको, शिव लोकको प्राप्त कर शिवके साथ प्रसन्नताको प्राप्त होता है |

Sandeep bhakti Sansar
Рекомендации по теме