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Mere Mehboob Na Ja Aaj Ki Raat Na Ja-Karaoke
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Song : Mere Mehboob Na Ja
Film : Noor Mahal (1965)
Music Director : Jani Babu Qawwal
Lyricist : Saba Afgani
Singer(s) : Suman Kalyanpur
सुमन कल्याणपुर जी की आवाज़ किसी परिचय की मोहताज़ नहीं. इनकी आवाज़ लता जी की आवाज़ से इतनी मिलती जुलती है कि कई बार रेडियो और स्टेज announcer इनके गाए गीतों का क्रेडिट लता जी को दे बैठतें हैं. अक्सर इन्हें “दूसरी लता” के नाम से भी जाना जाता है. मगर ये सुमन जी के साथ अन्याय होगा. सुमन जी की आवाज़ में उनकी अपनी मिठास है.
फिल्म “नूर महल” (1965) का ये गीत उनके सर्वोत्तम गीतों में से एक हैं. इस के संगीतकार है उस वक़्त शीर्ष पर विराजमान कव्वाल जनाब जानीबाबू साहब. इस फिल्म की बदौलत जानी बाबू कव्वाल साहब ने संगीतकार के रूप में Debut किया. पर मुझे याद नहीं उसके बाद उन्होंने किसी और फिल्म में संगीत दिया हो. गीतकार हैं सबा अफ़गानी.
“नूर महल” एक रहस्यमय फिल्म थी और ये गीत एक haunting melody की तरह फिल्म में कई बार बजता है. 1962 की फिल्म “बीस साल बाद” की haunting melody “कहीं दीप जले कहीं दिल..” की टक्कर का ये गीत होता अगर जानी बाबु साहब, हेमंत कुमार जी की तरह अपने संगीत को थोड़ा मद्धिम (subtle) रख पाते.
बहरहाल, गीत फिर भी बहुत ही melodious बन पड़ा है और इसका श्रेय एक अच्छी धुन, अच्छी शायरी के साथ साथ सुमन कल्याणपुर जी की बेहतरीन गायकी को दिया जाना चाहिए.
फ़िल्म में इस गीत के 6 stanza हैं. आपकी सुविधा के लिए प्रस्तुत track में केवल 4 stanza दिए गए हैं.
Film : Noor Mahal (1965)
Music Director : Jani Babu Qawwal
Lyricist : Saba Afgani
Singer(s) : Suman Kalyanpur
सुमन कल्याणपुर जी की आवाज़ किसी परिचय की मोहताज़ नहीं. इनकी आवाज़ लता जी की आवाज़ से इतनी मिलती जुलती है कि कई बार रेडियो और स्टेज announcer इनके गाए गीतों का क्रेडिट लता जी को दे बैठतें हैं. अक्सर इन्हें “दूसरी लता” के नाम से भी जाना जाता है. मगर ये सुमन जी के साथ अन्याय होगा. सुमन जी की आवाज़ में उनकी अपनी मिठास है.
फिल्म “नूर महल” (1965) का ये गीत उनके सर्वोत्तम गीतों में से एक हैं. इस के संगीतकार है उस वक़्त शीर्ष पर विराजमान कव्वाल जनाब जानीबाबू साहब. इस फिल्म की बदौलत जानी बाबू कव्वाल साहब ने संगीतकार के रूप में Debut किया. पर मुझे याद नहीं उसके बाद उन्होंने किसी और फिल्म में संगीत दिया हो. गीतकार हैं सबा अफ़गानी.
“नूर महल” एक रहस्यमय फिल्म थी और ये गीत एक haunting melody की तरह फिल्म में कई बार बजता है. 1962 की फिल्म “बीस साल बाद” की haunting melody “कहीं दीप जले कहीं दिल..” की टक्कर का ये गीत होता अगर जानी बाबु साहब, हेमंत कुमार जी की तरह अपने संगीत को थोड़ा मद्धिम (subtle) रख पाते.
बहरहाल, गीत फिर भी बहुत ही melodious बन पड़ा है और इसका श्रेय एक अच्छी धुन, अच्छी शायरी के साथ साथ सुमन कल्याणपुर जी की बेहतरीन गायकी को दिया जाना चाहिए.
फ़िल्म में इस गीत के 6 stanza हैं. आपकी सुविधा के लिए प्रस्तुत track में केवल 4 stanza दिए गए हैं.
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