Sandeep Maheshwari on Socrates | Hindi

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"True knowledge exists in knowing that you know nothing."
- Socrates

Sandeep Maheshwari is a name among millions who struggled, failed and surged ahead in search of success, happiness and contentment. Just like any middle class guy, he too had a bunch of unclear dreams and a blurred vision of his goals in life. All he had was an undying learning attitude to hold on to. Rowing through ups and downs, it was time that taught him the true meaning of his life.

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Комментарии
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"True knowledge exists in knowing that you know nothing."
- Socrates

SandeepSeminars
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"The secret of change is to focus all your energy not on fighting the old, but on building the new."
- Socrates

SatyamSingh-pqll
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Soon he will reach 17M, that also without any advertisement. Such a stupendous personality and humble person.

wanderingbutnotlost
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"Knowledge is virtue"

~Socrates

cosmophilosophyandscience
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My husband once told me about Socrates and his words.. I took that so lightly like some history stuff. But now I realise the whole importance of that. My husband usually questions everything like religion, beliefs, discipline etc, and I fret over him for that. Now I understand him better.

tanushree
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"Don't focus to change the yesterday, only focus to change the future "
And lives in present with full focus with concentration.😊😊

AshaKumari-menz
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"True knowledge exists in knowing that you know nothing" that's so true and that's why Sandeep sir says discover yourself then you will know and get solution

Sakshighule
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This is the only guy and the first guy who can actually say to his viewers that you may not want to watch this video. Salute to him

sandeshraj
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Socrates Quotes-
~An unexamined life is not worth living.
~One thing only I know, and that is that I know nothing.
~I know that I am intelligent, because I know that I know nothing.
~True knowledge exists in knowing that you know nothing.
~When the debate is over, slander becomes the tool of the loser.
~Beware the barrenness of a busy life.
~To find yourself, think for yourself.
~Education is the kindling of a flame, not the filling of a vessel.
~There is only one good, knowledge, and one evil, ignorance.
~I know nothing except the fact of my ignorance.

myonlineca
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*steve jobs told i would give my whole life just to have one hour chat with socrates*

paarthsingh
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Today is 28th September, Happy birthday Sandeep Sir🎉🎂

bakulsharma
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True wisdom comes to each of us when we realize how little we understand about life, ourselves, and the world around us.
-Socrates

inspiringintel
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" intelligent people are always hungry to know something new and are always ready change their beliefs"

shreyanshchhawal
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So profound session by such a deep thinker....
agreed padhne likhne se dimag bhot khulta hai...👏

abadsiddiqui
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Summary of the universe is in Einstein one line:-- every thing in the universe is relative. Surrounding define your relativity.

rahulprakash
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Bahut mind chahiye Sandeep Maheshwari ji ki bat ko smjhna.


He is genius 👍

thegreataamirumra
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गजब मेरे भाई
आपने हम सारे महेश्वरीज का माथा ऊंचा कर दिया है ।
परमात्मा आपको हमेशा स्वस्थ्य रखे ।
जय श्री कृष्णा🙏❤️

manojmaheshwari
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महेश्वरी जी, मुझे बहुत खेद पूर्वक कहना पड़ रहा है कि आपने सापेक्षता और सहअस्तित्व के सम्बंध में (5:41)जो उदाहरण दिया है वे अतार्किक व दोषपूर्ण हैं। आपने सहअस्तित्व को समझाने के कुछ विश्लेषणात्मक् प्रश्न किये जैसे, ' आँखों की वजह से विश्व का अस्तित्व है या विश्व की अस्तित्व की वजह से आँखों का', ' कान है इसलिए आवाज का अस्तित्व है या आवाज जी इसलिए कान का अस्तित्व है', इसीप्रकार, ' आँखों की वजह से प्रकाश का अस्तित्व है या प्रकाश के वजह से आँखों का'। मित्र ! आपने इनको सहअस्तित्व के कोटि में रखकर जो समझने की चेष्टा की उसमें दोष है, कारण कि, आँखों और वाह्य जगत, आँखों और प्रकाश, तथा कान और आवाज में आप सहअस्तित्व की बात करते करते कार्यकारण सम्बन्ध की बात करने लगे, जैसे- ' प्रकाश की वजह से आँखों का अस्तित्व है या आंखों की वजह से प्रकाश का'। इसप्रकार का प्रश्न कार्यकारण को स्पष्ट करने के लिए किया जाता है, सहअस्तित्व को नहीं। रही बात प्रकाश और आंखों के सह अस्तित्व की तो ऐसा नहीं है। न आँखों का अस्तित्व प्रकाश पर निर्भर है और ना ही प्रकाश का अस्तित्व आंखों पर। 'अस्तित्व' बहुत बड़ा शब्द है इसे सम्भल कर इस्तेमाल कीजिये। आँख का काम है देखना, और एक समर्थ आँख देखने का कार्य तब भी करेगा जब प्रकाश ना हो। आँख का कार्य रंगों का संवेदन लेना है, प्रकाश में अनेकों आकार प्रकार और रंगों का संवेदन मिलता है, और अंधेरे में सिर्फ काले रंग का संवेदन मिलता है, , इसप्रकार अंधेरा हो या प्रकाश एक समर्थ आँख वो करेगा जो उसका कार्य है, , अतः उसका अस्तित्व प्रकाश और बिल्कुल निर्भर नहीं करता। अब रही बात प्रकाश की तो प्रकाश किसी के आँखों के होने पर निर्भर कैसे कर सकता है, उसका कार्य प्रकाशित करना है, और वो यही भी करेगा चाहे कोई आँख उसे देखे या ना देखे। अब रही बात व्यक्ति के वाह्य दृष्टि की तो उसको वाह्य विश्व को देखने के लिए समर्थ आँख और प्रकाश दोनों की आवश्यकता पड़ेगी, यही वह स्थान है जहाँ इन दोनों के सह अस्तित्व की आवश्यकता है, किन्तु इसका ये अर्थ नहीं कि ये दोनों एक दूसरे के कारक हो सकते हैं। ये दोनों भिन्न हैं दोनों का भिन्न कारक हैं, हाँ दृष्टि के लिए समर्थ आँख और प्रकाश दोनों कारक हैं। जैसे यदि मैं एक वृक्ष देख रहा हूँ तो मुझे समर्थ आँख और प्रकाश दोनों की आवश्यकता होगी, किन्तु इसका यह अर्थ नहीं कि वृक्ष का अस्तित्व मेरे आंखों के कारण है, या प्रकाश के कारण है, या इन दोनों के कारण है, , । आपको समझना होगा कि यहाँ दृष्टि अस्तित्व और वस्तु अस्तित्व ये दोनों भिन्न हैं। आपने अपने प्रश्नों में ये अंतर नहीं किया इसलिए वे दोषपूर्ण हैं। अतः आपसे अनुरोध है कि ऐसा कुछ उदाहरण ना दें जो दोषपूर्ण हों। धन्यवाद।

philosophicalperspective.
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वसीयतें अपने नाम लिखवा लेने से
कुछ नहीं होता..
यह तो उड़ान तय करती है कि
आसमान किसका है..।।

manishsaran
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"Live your life with a vission, vission of the future"
-Sandeep maheshwari

nandiniagrawal