Navratri 2024 | Aigiri Nandini With Meaning in Hindi | Mahishasur Mardini Stotra | Madhubanti Bagchi

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Tilak Originals Presents, Aigiri Nandini, a beautiful version of the Mahishasura Mardini Stotram With Hindi Translataion. This captivating Stotram is Sung by Madhubanti Bagchi and brought to life with amazing music by Siddharth Amit Bhavsar, this Stotram is all about the fierce and loving spirit of Maa Durga.

As you listen, you'll not only enjoy the powerful melodies but also find Hindi translations that make the meaning come alive! It’s a perfect way to connect with the strength and grace of the Goddess Durga as she fights against darkness and evil.

With Navratri upon us, we want to wish you all a joyful celebration! May Maa Durga bless you with happiness, strength, and positivity during these special days.

Let’s celebrate together! Happy Navratri! Jai Maa Durga! ✨

Credits:
Singer: Madhubanti Bagchi
Music Director: Siddharth Amit Bhavsar
Lyrics: Traditional
Music Arranged & Produced by: Siddharth Amit Bhavsar
Flute: Shashank Acharya
Rhythm & Percussions: Arun Solanki,
Gautam Sharma, Khwab haria, Rahul Rupawate
Rhythm Arranged by Arun Solanki
Live Rhythm Recorded at studio 504 by Rahul Sharma
Flute & Stroke Instruments recorded at MWS
Assisted by Samir Dharap & Rohit
Mixed & Mastered by Abhishek Ghatak
Pandit Ji: Shivam Shastri, Umesh Kumar Pandey, Pradeep Kumar Dwiwedi, Arvind Chaturvedi, Mahendra Dwivedi, Chandra kishore Dwivedi, Amit Dwivedi, Rajendra Dwivedi, Harinarayan Tiwari, Gaurav Kumar Dubey, Dayashankar Tripathi

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Комментарии
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आदि शंकराचार्य को शत शत नमन करता हु जीस ने महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र लिखा।🙏🙏

DipakLimbolaDL
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इनके कंठ मे साक्षात सरस्वती देवी विराजमान है
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🚩🙏
|| जय माता दी ||🚩

shivangsrivastav-nv
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🙏सरल अनुवाद❤️

अयि गिरि नन्दिनि नन्दित मेदिनि विश्व विनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवर विन्ध्य शिरोऽधि निवासिनि विष्णु विलासिनि जिष्णुनुते।
भगवति हे शिति कण्ठ कुटुम्बिनि भूरि कुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय ॥
सुरवर वर्षिणि दुर्धर धर्षिणि दुर्मुख मर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवन पोषिणि शङ्कर तोषिणि किल्बिष मोषिणि घोषरते।
दनुज निरोषिणि दिति सुतरोषिणि दुर्मद शोषिणि सिन्धुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि... ॥

अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रिय वासिनि हासरते
शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमालय शृङ्गनिजालय मध्यगते।
मधु मधुरे मधु कैटभ गञ्जिनि कैटभ भञ्जिनि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

अयि शतखण्ड विखण्डित रुण्ड वितुण्डित शुंड गजाधिपते
रिपु गजगण्ड विदारण चण्ड पराक्रम शुण्ड मृगाधिपते।
निज भुज दण्ड निपातित खण्ड विपातित मुण्ड भटाधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि.. ॥

अयि रणदुर्मद शत्रु वधोदित दुर्धर निर्जर शक्तिभृते
चतुर विचार धुरीण महाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते।
दुरित दुरीह दुराशय दुर्मति दानव दुत कृतान्तमते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि... ॥

अयि शरणागत वैरिव धुवर वीर वराभय दायकरे
त्रिभुवन मस्तक शुलविरोधि शिरोऽधि कृतामल शुलकरे।
दुमि दुमि तामर धुन्दु भिनाद महोमुखरीकृत दिङ्मकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि.. ॥

अयि निज हुङ्कृति मात्र निराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते
समर विशोषित शोणितबीज समुद्भव शोणित बीजलते।
शिव शिव शुम्भ निशुम्भ महाहव तर्पित भूत पिशाच रते
जय जय हे.. ॥

धनुरनु षङ्ग रणक्षण सङ्ग परिस्फुर दङ्ग नटत्कटके
कनक पिशङ्ग पृषत्क निषङ्ग रसद्भट शृङ्ग हता बटुके।
कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि.... ॥

सुरललना तत थेयि तथेयि कृताभि नयोदर नृत्यरते
कृत कुकुथः कुकुथो गडदादि कताल कुतूहल गानरते।
धुधु कुट धुक्कुट धिंधि मित ध्वनि धीर मृदङ्ग निनाद रते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

जय जय जप्य जये जय शब्द परस्तुति तत्पर विश्वनुते
झण झण झिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुर शिञ्जित मोहित भूतपते।
नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटित नाट्य सुगानरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनः सुमनो हरकान्तियुते
श्रित रजनी रजनी रजनी रजनी रजनी करवक्त्रवृते।
सुनयन विभ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमराधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

सहित महाहव मल्ल मतल्लिक मल्लित रल्लक मल्लरते
विरचित वल्लिक पल्लिक मल्लिक झिल्लिक भिल्लिक वर्गवृते।
शित कृत फुल्ल समुल्ल सितारुण तल्लज पल्लव सल्ललिते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

अविरल गण्ड गलन्मद मेदुर मत्त मतङ्ग जराजपते
त्रिभुवन भुषण भूत कला निधि रूप पयोनिधि राजसुते।
अयि सुद तीजन लालस मानस मोहन मन्मथराजसुते
जय जय हे.... ॥

कमल दलामल कोमल कान्ति कला कलितामल भाल लते
सकल विलास कला निलय क्रम केलिच लत्कल हंस कुले।
अलि कुल सङ्कुल कुवलय मण्डल मौलि मिलद्ब कुलालि कुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि... ॥

कर मुर लीरव वीजित कूजित लज्जित कोकिल मञ्जुमते
मिलित पुलिन्द मनोहर गुञ्जित रञ्जित शैल निकुञ्जगते।
निजगुण भूत महा शबरी गण सद्गुण सम्भृत केलितले
जय ॥

कटि तट पीत दुकूल विचित्र मयुखति रस्कृत चन्द्ररुचे
प्रणत सुरासुर मौलि मणिस्फुर दंशु लसन्नख चन्द्ररुचे।
जित कन काचल मौलि मदोर्जित निर्भर कुञ्जर कुम्भ कुचे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि... ॥

विजित सहस्र करैक सहस्र करैक सहस्र करैकनुते
कृत सुरतारक सङ्गर तारक सङ्गर तारक सूनु सुते।
सुरथ समाधि समान समाधि समाधि समाधि सुजात रते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

पद कमलं करुणा निलये वरि वस्यति योऽनुदिनं सुशिवे
अयि कमले कमला निलये कमला निलयः स कथं न भवेत्।
तव पदमेव परम्पद मित्य नुशील यतो मम किं न शिवे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि.. ॥

कन कल सत्कल सिन्धु जलै रनु षिञ्चति तेगुण रङ्गभुवम्
भजति स किं न शची कुच कुम्भ तटी परि रम्भ सुखानु भवम्।
तव चरणं शरणं करवाणि नता मरवाणि निवासि शिवम्
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि.. ॥

तव विमलेन्दु कुलं वद नेन्दु मलं सकलं ननु कूलयते
किमु पुरुहूत पुरीन्दु मुखी सुमुखी भिरसौ विमुखी क्रियते।
मम तु मतं शिवनाम धने भवती कृपया किमुत क्रियते
जय जय हे... ॥

अयि मयि दीन दयालु तया कृपयैव त्वया भवि तव्य मुमे
अयि जगतो जननी कृप यासि यथासि तथा नुमि तासि रते।
यदुचित मत्र भवत्यु ररी कुरुता दुरुता पमपा कुरुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि.. ॥

❤जय श्री राधे 🙏

ajayspiritiual
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गीत संगीत दोनों अत्यंत उच्च कोटि के हैं। गाया भी है अत्यंत सुरीले स्वर मे, भक्ति भाव के साथ। जय माँ दुर्गे

ashishkumar-ngef
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❤ आप के द्वारा गया यह गीत के उच्चारण गजब के है ! इतने कठिन शब्द के बाद में बहुत ही सरलता से गाया। आप से प्रार्थना है कि गाते हुए बीच बीच में थोड़ा मुस्कराए क्यों की आप के गाते हुए मुस्कराने पर बहुत अच्छी लगती हो, मेरी भावना को गलत मत समझिएगा ! आप की जय हो!

prakashjain
Автор

जय जय आदिशाक्ति, परम् शाक्ति माँ जगदम्बा 🚩🚩आपकी सदा जय हो🌷🙏🙏🌷 🚩🚩

AnuragTiwari-kqiv
Автор

इतनी सुन्दर स्तुति माँ की, मेरे पास शब्द नहीं है प्रशंसा करने के लिए..और गायी भी बहुत भाव और मधुरता से गई है 🕉🚩🌺

Truthseeker-qk
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आप की आवाज में जादू है, आप के एक एक उच्चारण जबरदस्त है, आप जब भी गाती है मन करता हु आप को सुनता जाऊ, मैने पहली बार आप की आवाज मे यह स्त्रोत सुना, शायद ही कोई आप के जितना अच्छा gaa सकता है, मुझे तो नही लगता इतनी मीठी आवाज में यह स्त्रोत gaa सकता है, बार बार सुनने का मन करता है, मन को भी शांति मिलती है, आप कोई संगीत की दुनिया में सुपर स्टार से कम ना हो, कोटि कोटि नमन है आपको ।

prakashjain
Автор

मधुबन्ति बागची जी की आवाज बहुत प्यारी है, साक्षात् माँ सरस्वती का वास है उनके कंठ में... 🙏🏻

sharmamonu
Автор

Such a beautiful praise of Mother, I do not have words to praise it... and it has been sung with great emotion and sweetness. ❤❤

UjalaYadav-ipwk
Автор

Jai mata di 🙏🙏🙏🙏
Bhut hi sukoon mila sun ke
Bhut achi voice hai ❤️

virenderkumari
Автор

आप के इस मंत्र से रोम रोम पुलकित हो गया, जैसे लग रहा है एक ऊर्जा का आभास हो रहा है ।
आप के इस स्तुति के प्रशंसा के लिए शब्द नहीं है मेरे पास ।
🙏🏻🙏🏻 जय माता दी 🙏🏻🙏🏻
नारी शक्ति को नमन 🙏🏻🙏🏻

sanatansangh_
Автор

Jay shri Radhe krishna jee Gurujee Aap ke shri charno me mera koti koti parnam Naman vandan I ❤️ 🌹 🙏🏼

krishnajha
Автор

1.25x speed pe सुनिए क्या ग़ज़ब लगता...मन्त्रमुग्ध हो जाइए गा...🫠🫠

PAWANKUMAR-eedi
Автор

I HEARTILY REQUEST MORE ❤DIVINE STOTRA.. I LOVE TO HEAR MAA KAALI ANYTHING ASSOCIATED WITH MAA KAALI.. JAI MAA KAALI
HAR HAR MAHADEV❤

ABHAYArya-wmgo
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Masterpiece voice of #MadhubantiBagchi, The Legend of our Bengali Singer's.

SanjoyGiriOfficial
Автор

jai mata dee di apne bhaut hi acche se hum bhakto ke liye itni pyari or lay ke sath gaya apka bhaut bhaut dhanyabad aap jaise logo ki jarurat hai jo sanatan ko itni acchi lay ke sath logo tk ....paucha rhi ho

dangerouskhiladi
Автор

🌺@ Tilak: Brilliant Hindi Translation. No MAHAPAAP "apsara " nonsense.

jknayak
Автор

Apki awaj 🙏🙏🙏ek din Mai 3 4 baar jarur sunti hn..
Bht Shanti milti hai.
Shabd bht hi spast hai...meri 6 year ki beti roj shikhti hai ...sapast hai words...to usko easy jata hai.🙏

jyotitiwari
Автор

शब्द हीन हूँ क्या कहूँ, अद्भुत है यह स्त्रोत और आपकी प्रतिभा.

sangeetadwivedi