filmov
tv
Woh Tere Pyaar Ka Gham-Karaoke
Показать описание
Song : वो तेरे प्यार का ग़म
Movie/Album : My Love (1970)
Music : दान सिंह
Lyrics : आनंद बक्षी
Singer : मुकेश
शशि कपूर और शर्मीला टैगोर जैसे सितारों से सजी और ईस्ट अफ्रीका के तंज़ानिया, केन्या में चित्रित 1970 की फ़िल्म “My Love” फ्लॉप हो गई.. कब आई कब गई पता ही नहीं चला. मगर इस फिल्म के मुकेश जी के गाए दो गीत अमर हो गए.. “वो तेरे प्यार का ग़म..इक बहाना था सनम..” और “ज़िक्र होता है जब क़यामत का, तेरे जलवों की बात होती है...” आज भी कई संगीत महफिलों में सिनियर्स के साथ साथ युवा गायक भी इन गीतों को गाते और वाह-वाही बटोरते हुए नज़र आते हैं. इसके संगीतकार थे जनाब दान सिंग और गीत लिखे थे आनंद बक्षी साहब ने. हांलांकि बहुत ही कम लोगों ने संगीतकार दान सिंग का नाम सुना होगा. दान सिंग के पसंदीदा गायक मुकेश जी के बेटे नितिन मुकेश ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा था कि “दान सिंग जी बहुत ही प्रतिभाशाली संगीतकार थे मगर उन्हें उनकी प्रतिभा के हिसाब से कुछ मिला नहीं”. वो आगे कहते हैं कि “वो तेर प्यार का ग़म..” मुकेश जी के पसंदीदा गीतों में एक था. उन्होंने यह भी बताया कि मुकेश जी ने इस गाने की रिकॉर्डिंग के बाद दान सिंग से कहा था "लोग इस गाने को हमारे जाने के बाद भी लंबे समय तक याद रखेंगे." सच्चे मन से की गई भविष्यवाणी. पियानो और सैक्सोफोन के शानदार इस्तेमाल से सजा और आनंद बक्शी द्वारा लिखा गया ये गीत आज भी उतना ही लोकप्रिय है. गायक नितिन मुकेश कहते हैं, "यह मेरे पिता द्वारा गाए गए सबसे बेहतरीन गानों में से एक था. यह उनकी बेहतरीन प्रस्तुतियों में से भी एक था."
दान सिंग ने ज़्यादातर समय आकाशवाणी जयपुर स्टेशन में संगीत की सेवा करते बिताया. दान सिंग जी के पिता एक स्कूल में शिक्षक थे और शौक़िया ख़याल गायकी भी करते थे. बचपन में दान सिंह किसी भी धुन को नोट दर नोट दोहरा सकते थे. सन 2011 की शुरुआत में टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में दान सिंह ने पिता को याद करते हुए कहा, "मैं जो कुछ भी सुनता, वह मेरे दिमाग में अंकित हो जाता" संगीत के प्रति उनकी प्रतिभा पहली बार लखनऊ में एक विवाह समारोह में सामने आई. जब एक रिश्तेदार ने उन्हें बताया कि उनके पिता एक मौके पर ही (impromptu) गाने वाली ख्याल गायकी की आयोजित एक प्रतियोगिता में हार गए हैं, तो आठ वर्षीय दान सिंह मौके पर पहुंचे. उन्होंने याद करते हुए बताया, "मैंने चिल्लाकर कहा कि मैं प्रतियोगिता में भाग लेना चाहता हूं. सभी हंस पड़े. लेकिन जब मैंने "तेरी बातों से मुझको यह ज़ाहिर हुआ, इश्क तेरा रहा कोई कंगाल से" यह ग़ज़ल गाई, तो सभी को बहुत पसंद आई. मैं हीरो बन गया." उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की बहुत ख़ुशी है कि मेरा संगीत इतने सालों तक मेरे साथ रहा.
18 Jun 2011 को करीब 84 वर्ष की उम्र में लम्बी बीमारी के बाद दान सिंग ने जयपुर के एक अस्पताल में दुनिया को अलविदा कहा.
Movie/Album : My Love (1970)
Music : दान सिंह
Lyrics : आनंद बक्षी
Singer : मुकेश
शशि कपूर और शर्मीला टैगोर जैसे सितारों से सजी और ईस्ट अफ्रीका के तंज़ानिया, केन्या में चित्रित 1970 की फ़िल्म “My Love” फ्लॉप हो गई.. कब आई कब गई पता ही नहीं चला. मगर इस फिल्म के मुकेश जी के गाए दो गीत अमर हो गए.. “वो तेरे प्यार का ग़म..इक बहाना था सनम..” और “ज़िक्र होता है जब क़यामत का, तेरे जलवों की बात होती है...” आज भी कई संगीत महफिलों में सिनियर्स के साथ साथ युवा गायक भी इन गीतों को गाते और वाह-वाही बटोरते हुए नज़र आते हैं. इसके संगीतकार थे जनाब दान सिंग और गीत लिखे थे आनंद बक्षी साहब ने. हांलांकि बहुत ही कम लोगों ने संगीतकार दान सिंग का नाम सुना होगा. दान सिंग के पसंदीदा गायक मुकेश जी के बेटे नितिन मुकेश ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा था कि “दान सिंग जी बहुत ही प्रतिभाशाली संगीतकार थे मगर उन्हें उनकी प्रतिभा के हिसाब से कुछ मिला नहीं”. वो आगे कहते हैं कि “वो तेर प्यार का ग़म..” मुकेश जी के पसंदीदा गीतों में एक था. उन्होंने यह भी बताया कि मुकेश जी ने इस गाने की रिकॉर्डिंग के बाद दान सिंग से कहा था "लोग इस गाने को हमारे जाने के बाद भी लंबे समय तक याद रखेंगे." सच्चे मन से की गई भविष्यवाणी. पियानो और सैक्सोफोन के शानदार इस्तेमाल से सजा और आनंद बक्शी द्वारा लिखा गया ये गीत आज भी उतना ही लोकप्रिय है. गायक नितिन मुकेश कहते हैं, "यह मेरे पिता द्वारा गाए गए सबसे बेहतरीन गानों में से एक था. यह उनकी बेहतरीन प्रस्तुतियों में से भी एक था."
दान सिंग ने ज़्यादातर समय आकाशवाणी जयपुर स्टेशन में संगीत की सेवा करते बिताया. दान सिंग जी के पिता एक स्कूल में शिक्षक थे और शौक़िया ख़याल गायकी भी करते थे. बचपन में दान सिंह किसी भी धुन को नोट दर नोट दोहरा सकते थे. सन 2011 की शुरुआत में टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में दान सिंह ने पिता को याद करते हुए कहा, "मैं जो कुछ भी सुनता, वह मेरे दिमाग में अंकित हो जाता" संगीत के प्रति उनकी प्रतिभा पहली बार लखनऊ में एक विवाह समारोह में सामने आई. जब एक रिश्तेदार ने उन्हें बताया कि उनके पिता एक मौके पर ही (impromptu) गाने वाली ख्याल गायकी की आयोजित एक प्रतियोगिता में हार गए हैं, तो आठ वर्षीय दान सिंह मौके पर पहुंचे. उन्होंने याद करते हुए बताया, "मैंने चिल्लाकर कहा कि मैं प्रतियोगिता में भाग लेना चाहता हूं. सभी हंस पड़े. लेकिन जब मैंने "तेरी बातों से मुझको यह ज़ाहिर हुआ, इश्क तेरा रहा कोई कंगाल से" यह ग़ज़ल गाई, तो सभी को बहुत पसंद आई. मैं हीरो बन गया." उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की बहुत ख़ुशी है कि मेरा संगीत इतने सालों तक मेरे साथ रहा.
18 Jun 2011 को करीब 84 वर्ष की उम्र में लम्बी बीमारी के बाद दान सिंग ने जयपुर के एक अस्पताल में दुनिया को अलविदा कहा.
Комментарии