Ye Galiyan Ye Chaubaara-Karaoke

preview_player
Показать описание
साथियों इस वर्ष का ये पहला ट्रैक. चूँकि शादियों का मौसम अब पूरे उफ़ान पर है और इस उपलक्ष्य में मैंने पहला गीत “लिखने वाले ने लिख डाले..” (अर्पण) का ट्रैक नवंबर में ही अपलोड कर दिया था. तो मैंने सोचा की दूसरा जोड़ीदार “ये गलियां ये चौबारा.....(प्रेम रोग)” भी तुरंत अपलोड कर दूं. क्यूंकि मेरा मानना है की आज के दौर में होने वाली भारत की हर शादी इन दो गीतों के बिना अधूरी है. मैं जनता हूँ के आप लोग कहेंगे कि “बाबुल की दुआएं लेती जा... (नीलकमल) के बिना भी शादी मुक़म्मल नहीं मानी जाएगी. मगर किसी कारणवश उसमे थोडा समय लग सकता है. धीरज रखें.
राज कपूर द्वारा निर्देशित “प्रेम रोग”, 1982 की सफलतम फिल्मों में से थी. रोमांटिक लव ट्रायंगल वाली फिल्मों के लिए मशहूर राज कपूर द्वारा ऐसी फिल्म बनाना एक सुखद आश्चर्य था. फिल्म को हम राज जी की एक सर्वश्रेष्ठ फिल्म कह सकते हैं. 1983 के फिल्मफेयर पुरस्कारों में “प्रेम रोग” को सर्वाधिक 12 नामांकन मिले और उस साल 4 पुरस्कार जीतने में सफल रही. हालांकि “शक्ति” ने सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार हासिल किया मगर मेरी नज़र में “प्रेम रोग” को ये खिताब मिलना चाहिए था. राज कपूर जी ने सर्वश्रेष्ठ निर्देशनऔर एडिटिंग का और पद्मिनी कोल्हापुरे ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का और संतोष आनंद जी ने सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार (“मोहब्बत है क्या चीज़...” के लिए) हासिल किया.
राज जी की मंशा इस फ़िल्म में ऋषि कपूर हो बतौर निर्देशक लॉन्च करने की थी मगर ऋषि जी ने सौभाग्य से मना कर दिया. राज जी “सत्यम शिवम् सुन्दरम” (1978) में पद्मिनी कोल्हापुरे के ‘छोटी जीनत अमान’ के अभिनय से तो से पहले ही से प्रभावित थे, सो बाल विधवा के गेटअप में उनका स्क्रीन टेस्ट सफल होते ही बात पक्की हो गयी. “इन्साफ का तराज़ू” (1980) में मात्र 15 वर्ष की उम्र में सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीत कर पद्मिनी जी ने सबसे कम उम्र में ये ख़िताब जीतने का इतिहास रचा. कुछ ऐसा ही इतिहास उन्होंने “प्रेम रोग” में 17 वर्ष की उम्र में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीत कर रचा. मगर ये सम्मान उन्हें जया भादुरी जी के साथ शेयर करना पड़ा जिन्होंने 1973 में “अभिमान” के लिए पहली बार 17 वर्ष की उम्र में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता था.
प्रस्तुत गीतको अपनी मधुर आवाज़ दी है स्वर सम्राज्ञी लता दीदी ने. गीत के सरल, सुंदर और भावुक करने वाले बोल लिखे है संतोष आनंद जी ने और गीत की पहली ही थाप ये बताने के लिए काफी है कि संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जी का है.
आशा करता हूँ कि ट्रैक आप लोगों को पसंद भी आएगा और आप लोग इस मौसम की शादियों में इसका जम कर लुत्फ़ भी उठाएंगे.
Рекомендации по теме
Комментарии
Автор

Kya baat hai bilkul original wali sound aa rahi hai... Mind blowing 👌👌👏👏👏👏👏

SunilSinha
Автор

wow very beautiful & lovely song .badiya karoke

kumudkamble
Автор

Sir, karaoke, kaise, banaye, bataye, sir

DharmendraYadav-yk