Humne Kab Chaha Ki Wo Shakhs Hamara Ho Jaye || Yasir Imam || @Shayri_Spot || #shayri#ahmadfaraz#4k

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हम ने कब चाहा कि वो शख़्स हमारा हो जाए
इतना दिख जाए कि आँखों का गुज़ारा हो जाए

हम जिसे पास बिठा लें वो बिछड़ जाता है
तुम जिसे हाथ लगा दो वो तुम्हारा हो जाए

तुम को लगता है कि तुम जीत गए हो मुझ से
है यही बात तो फिर खेल दोबारा हो जाए

है मोहब्बत भी अजब तर्ज़-ए-तिजारत कि यहाँ
हर दुकाँ-दार ये चाहे कि ख़सारा हो जाए

-yasir khan inaam
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