Charan Sparsh | Inner Kora | Mount Kailash | Touching Feet of Kailash | Uncut Video | #charansparsh

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The word Charan Sparsh is an amalgamation of two Hindi words- Charan meaning feet and Sparsh meaning touch. Hence the complete meaning of this word is to touch the feet. Charan Sparsh in Kailash Mansarovar tour is touching Mount Kailash from close. Mount Kailash is in the shape of Shivalingam which symbolizes Lord Shiva, so when we go for Charan Sparsh of Mount Kailash it gives you the feeling of touching the feet of Lord Shiva.
Charan Sparsh is located at the foothill of the North Face of Mount Kailash. One can go for Charan Sparsh on the first day of Mount Kailash Kora. The first day of Mount Kailash Kora is 10km from Yamdwar to Dhirapuk. After reaching Dhirpauk, one needs to trek for another 4 to 5 km to reach Charan Sparsh. The trek to Charan Sparsh is quite difficult as there is no proper path to it and harsh climatic conditions prevail in the region.

As per scientific research, there is a flow of vibrations in the human body and touching the feet encourages the flow of energy, happiness and blessings. Hence going for Charan Sparsh during Kailash Mansarovar tour offers immense satisfaction and rejuvenates the mind and soul of the Bhole devotees.

It is advised if you are physically confident then only proceed for Charan Sparsh as the wind blowing there is very fast and cold. You might also have to trek on snow. There is no proper trail, hence going to Charan Sparsh is possible only by trek and no pony or vehicle can reach there.

We at Alpine Eco Trek, organize trips to Mount Kailash and Lake Manasarvoar and our main goal is to fulfill your dream to reach and touch feet of Mount Kailash. Charan Sparsh special journey. Contact us for more information:
Websites:
Alpine Eco Trek & Expedition Pvt. Ltd
Cell: 00977 9851036844
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Рекомендации по теме
Комментарии
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Priceless...thank you for the Darshan. Namah shivay 😊

neelachowhan
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You are blessed to reach the base of Mount Kailash that is a good idea to put your beads for blessings on the mountain..om NaMo Shiva 🕉️🇨🇦🪔🦚🙏💓🙏🙏

retaparasram
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♥️♥️♥️🙏🙏💚💚💚🙏🙏💛💛💛
HAR HAR MAHADEV
HAR HAR MAHADEV
HAR HAR MAHADEV
💜💜💜🙏🙏💙💙💙🙏🙏🧡🧡🧡
OHM NAMAH SHIVAYA
OHM NAMAH SHIVAYA
OHM NAMAH SHIVAYA
♥️♥️♥️🙏🙏💚💚💚🙏🙏💛💛💛
JAI SHIVSHAKTI
JAI SHIVSHAKTI
JAI SHIVSHAKTI
💜💜💜🙏🙏💙💙💙🙏🙏 🧡🧡🧡
I LOVE YOU NILKANTHAYA MAHADEV

I TRUST YOU BHOLENATH
💜🙏💜🙏💜🙏💜🙏💜🙏💜🙏💜🙏💜

Itsmemishtu
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हर हर महादेव🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
ॐ नमः शिवाय🔱🔱🔱🔱🔱🔱
बम बम भोले🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
जय शिव शंभो🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
जय भोलेनाथ🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
जय

ashishjadhav
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You are lucky person.my dream kailash manasrovar darsanam.

lakshmiratnakumarin
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Why are you placing objects that don't belong there, that small trident looks sharp.

You don't have to leave your mark that you are a great soul, great devotee...

Some others might find it dangerous or littered.

avishekdas
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ज्ञान के धागों के सिरों को सही से जोड़कर जीवन के सुर बना जीवन के उच्च संगीत 🕉 को धारण करने योग्य बना जा सकता

RAJENDRATAK-leke
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❤ जय श्री भोलेनाथ जी ❤ हर हर महादेव ❤जी

vishalmallha
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Jai boley baba❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤HAR HAR MAHADEV SAMBO SANKARA NAMA SHIVAYA 🙏🏻❤️🙏🏻❤️🙏🏻❤️

sivabondhi
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नाग स्तोत्रम् (Naag Sarpa Stotram)
ब्रह्म लोके च ये सर्पाः शेषनागाः पुरोगमाः ।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥१॥विष्णु लोके च ये सर्पाः वासुकि प्रमुखाश्चये ।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥२॥

रुद्र लोके च ये सर्पाः तक्षकः प्रमुखास्तथा ।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥३॥

खाण्डवस्य तथा दाहे स्वर्गन्च ये च समाश्रिताः ।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥४॥

सर्प सत्रे च ये सर्पाः अस्थिकेनाभि रक्षिताः ।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥५॥

प्रलये चैव ये सर्पाः कार्कोट प्रमुखाश्चये ।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥६॥

धर्म लोके च ये सर्पाः वैतरण्यां समाश्रिताः ।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥७॥

ये सर्पाः पर्वत येषु धारि सन्धिषु संस्थिताः ।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥८॥

ग्रामे वा यदि वारण्ये ये सर्पाः प्रचरन्ति च ।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥९॥

पृथिव्याम् चैव ये सर्पाः ये सर्पाः बिल संस्थिताः ।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥१०॥

रसातले च ये सर्पाः अनन्तादि महाबलाः ।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥११॥

RAJENDRATAK-leke
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भगवान श्री राम जी त्रेता में लंका पर विजय प्राप्त करके लौट आए थे और अयोध्या के राजा बन शासन किया। भगवान श्रीकृष्ण जी द्वापर में महाभारत करवा कर द्वारिका पुरी में जाकर द्वारिकाधीश बन शासन किया। भगवान कृष्ण जी के पश्चात महात्मा शाक्य मुनि महामुनि भगवान बुद्ध आए उन्होंने मन पर विजय प्राप्त करके मानवतावाद क्या होती हैं सारे विश्व को समझाया व शांति और अहिंसा का पाठ पढ़ाया फिर भी नकारात्मकता का पाठ पढ़ना अधिकांश मनुष्यों ने जारी रखा। भक्तों के प्रयास से कलियुग से सतयुग की प्राप्ति हेतु बड़ा कार्य भी होने जा रहा हैं ऐसे में कलियुग को व नकारात्मकता को समाप्त करने एवं सतयुग को लाने का काफी बड़ा कार्य हैं पंचमहाभूतों से निर्मित सृष्टि जिसमें 33 करोड़ मनुष्य और जलचर, नभचर, कीट-पतंगों एवं कई प्रकार के मनुष्यों के दृश्यमान व अदृश्य जीवों का पेड़-पौधों का शेष रह जाना ही हैं बाकि सब समाप्त होना यह भी कार्य सम्पन्न होने जा रहा हैं। यह सब भक्तों के विश्वास का ही परिणाम हैं जिसमें भक्तों और भगवान का अटूट रिश्ता सृष्टि के आरम्भ से ही हैं । सृष्टिगत कार्यों को गतिमान बनाए रखने एवं मानव जीवन को महामानव जीवन बनाए की सतत् प्रक्रिया में वैदिक सनातन धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका ने वसुधैव कुटुम्ब का निर्माण कर समस्त जगत और ब्रह्मांड में महत्वपूर्ण भूमिका ही नहीं निभाई अपितु कालचक्र में सभी धर्मों को जोड़कर महाकाल चक्र के युग-युगांतर, कल्प-कल्पान्तर को भी बड़ी सहजता से प्रकट किया हैं जिसमें सप्तऋषियों का जप तप योग ध्यानबल, ग्रहों-नक्षत्रों व समस्त साधकों द्वारा लगातार कार्य किए जाने मंत्र आहूत किए जाते रहे हैं । उत्तरीध्रुव के शीर्ष पर महादेवजी परिवार का निवास दक्षिणीध्रुव में सुक्ष्मरूप से क्षीरसागर सफेद बर्फ का सागर दूधिया रूप में शैषनाग शैया पर विराजमान भगवान श्री हरि विष्णु व मध्य में ब्रह्मलोक तीर्थगुरू पुष्कराजजी व महाकाल उज्जैन आज जो नगर उज्जैन नाम से जाना जाता है वह अतीत में अवंतिका, उज्जयिनी, विशाला, प्रतिकल्पा, कुमुदवती, स्वर्णशृंगा, अमरावती आदि अनेक नामों से अभिहित रहा। मानव सभ्यता के प्रारंभ से यह भारत के एक महान तीर्थ-स्थल के रूप में विकसित हुआ। पुण्य सलिला क्षिप्रा के दाहिने तट पर बसे इस नगर को भारत की मोक्षदायक सप्तपुरियों में एक माना गया हैं।तीर्थगुरू तीर्थराज पुष्कराज जी से ब्रह्माजी द्वारा सृष्टियज्ञ आरम्भ करके सृष्टि की रचना करी गई। उच्चलोकों व धरती के परिप्रेक्ष्य में सुक्ष्म जगत में धरती पर विष्णु भगवान सृष्टि के मनुष्यों के पालनकर्ता धरती के ऊपर ब्रह्मलोक से सृष्टिकर्ता व उससे भी ऊपर सत्यलोक शिवलोक जंहा से असत्य का नाश यानि की कलियुग का नाश संहारकर्ता महादेवजी व महाकाली जी के द्वारा किया जाता हैं। सतयुग में जाने हेतू भक्तों द्वारा बांधा गया सेतु जिसमें अष्ट चिरंजीवियों का गुप्त रूप से रहकर कार्य करना भला इस योगदान को अनदेखा कैसे किया जा सकता हैं वो भी अपना कार्य पूर्ण कर उच्च लोकों में प्रस्थान करेंगे सतयुग पश्चात पुनः त्रेता में भगवान श्री रामजी के साथ पुनः चिरंजीवियों का आगमन होगा । सतयुग को पुनः त्रिदेव-त्रिदेवी, सप्तॠषि, ग्रह-नक्षत्र, देवी-देवता अपने शिष्यों सहित मनुष्यों की सृष्टि में गतिमान महाकाल चक्र को आगे की और बढ़ाएंगे जिसको ब्रह्मांडीय चक्र समस्त ब्रह्मांडों से ही जाना जाता हैं। कल्कि दशमअवतार भगवान श्रीहरिविष्णु महानारायण

RAJENDRATAK-leke
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Great sharing, which month did yoy go???

sarassaras
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I also wanted to touch kailash parvat.kindly tell me how i can reach there from India ?

Ytshorts
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Very nice. Par gloves nikal ke touch karte toh or bether hota...

theothersideM
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AP kaise Gaye waha ab to band kar Diya na wha jna, kab Gaye plz details de do🙏

rinkysarkar
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सनातनी 🚩धर्म ध्वजा से ऊपर कुछ नहीं 🇮🇳राष्ट्र ध्वज का सम्मान भी आवश्यक कलियुग तक। कलियुग के पश्चात सतयुगीन व्यवस्था में सिर्फ धर्म ध्वजा हमारी और से छोटा और अच्छा सा संदेश पृथ्वीलोक के सभी मनुष्यों के लिए।

RAJENDRATAK-leke
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हम प्रतिपल स्वयं को ⚖️ इसमें तोल रहे हैं दुसरे पलड़े में क्या तोल रहें हैं यह जानकारी अवश्य हैं। सत्य इधर भी हैं तो उतना ही उधर भी हो तभी परिणामस्वरूप सकारात्मक चेतना का अनुभव करते हैं । दुसरे पलड़े में अगर चूहें को बैठा दिया तो आपका वजन अभिमान का बढ़ा क्यों कि आपने तो चूहें को लिफ्ट करवा दिया चूहा ऊंचाई पर पहुंच कर आपको निचाई पर देखकर सोच में पड़ गया कि उसमें तो कई गुना वजन हैं उसने क्यों लिफ्ट नहीं किया दुविधा दोनों तरफ हो गई एक महात्मा उधर से गुजरते समय यह सब देख रहे थे कि आखिर वो क्या कर रहा हैं तो उन्होनें पास जाकर समझाया यह बैलेंस हो सकता हैं जब अपनी मदद स्वयं करना सीख जाओं उसने पुछा भला वो कैसे उन्होंने कहा जो भी वजन उस चूहें और आपके दोनो के मध्य कम पड़ रहा उसको बराबर करने के लिए जितना अनाज, अवगुण दूसरें तराजू में उसके लिए रख कर दान कर दों वो उनको खाकर चलता बनेगा फिर भी आप यह सोचते हो आपने बैलेंस किया बराबर करने के लिए आपने अपने बराबर का अनाज तौलकर दान कर दिया यह सोचकर कि मेरी समस्या खत्म हो गई मैनें तो अवगुण दान कर दिए अब मेरे पास बुराई नहीं सकारात्मक ऊर्जा हैं इस सबसे बात बनने वाली नहीं हैं भीतर के महात्मा की खोज कर उसे ही धारण कर लेना ही सर्वश्रेष्ठ हैं अगर सच्चे महात्मा को खोज लिया तो आपका जीवन बैलेंस में आ गया फिर आप ने उस महात्मा को दूसरे पलड़े में बैठा दिया तो आपके पास क्या बचा तो इसमें सोच में पड़ने वाली क्या बात हैं बचा सिर्फ चौला यह तो उतरता ही हैं यह भी उतरा तो आप उसी महात्मा में हों । यह मंत्र धारण कर लेते हैं जिओ और जीने दो प्यार बांटते

RAJENDRATAK-leke
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Do we need any visa or a group and money to go near and touch Kailash parvat!!!?

Insaan__bramhand
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Bhai humne bhi darshan karne hain kailash parvat k paas se lekin hum indian se hain hamare liye ban hai to kya kare

Krishna-hey
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Can you please share the travel agency you went ...I want to do this...are Indian passport allowed by China ?you are blessed

bharathikn