appeal in criminal cases provisions under section 372 to 394 CRPC1973.

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In this video, I am explaining about the provisions of appeal in criminal cases under CRPC chapter 29 CRPC provides the provisions regarding appeal in CRPC.
no appeal to lie unless otherwise provided.
appeal from orders requiring security or refusal to accept a rejecting surity for keeping peace or good behaviour.
appeal from convictions.
no appeal in certain cases when accused please guilty.
no appeal in petty cases.
appeal in case of acquital.
appeal against conviction by high court in certain cases.
special right of appeal and certain cases.
appeal to court of session how heard.
petition of appeal.
procedure when appellant in jail.
summary dismissal of appeal.
इस वीडियो में यह बताया जा रहा है कि वैसे तो सीआरपीसी में अपील संबंधी स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है, लेकिन आप एग्रीवड पार्टी लोअर कोर्ट के ऑर्डर से एग्रीवड होकर सुपीरियर कोर्ट में अपील फाइल कर सकते है ,जिसमें लोअर कोर्ट के फैसले को चेंलेज कर सकते है, वरिष्ठ न्यायालय आदेश संशोधित कर सकता है ऑर्डर पलट सकता है, इस प्रकार अपील क्रिएशन ऑफ स्टेट्यूट है।
अपील का ड्राफ्ट कोर्ट में एक रिटर्न ड्राफ्ट के रूप में अपील प्रस्तुत होती है यदि गिवन प्रोविजन है तभी अपील होगी। अर्थात स्पष्ट प्रावधान होने पर सुपीरियर कोर्ट में अपील की जा सकती है।
अपील के साथ जजमेंट की कॉपी और आर्डर की सर्टिफिकेट कॉपी लगी होनी चाहिए, और यह प्लीडर के द्वारा प्रस्तुत की जाती है।
यदि प्रावधान में अपील की व्यवस्था है, तो यदिआर्डर मे दोषमुक्त करने का आदेश है, उसके विरुद्ध अपील की जा सकती हो, यदि आदेश में अभियुकत को सजा दी गई है तो इसकी अपील हो सकती है इसी प्रकार ऑर्डर इंप्लीमेंटिंग रिमूनरेशन इन सभी सेनटेनस उसकी अपील हो सकती है।
सजा के बिंदु पर हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट अपील जा सकती है इसी प्रकार यदि एडीजे कोर्ट द्वारा 7 वर्ष से अधिक लाइफ इंप्रिजनमेंट या मृत्युदंड की सजा दी गई उसकी अपील हाईकोर्ट में हो सकती है।
यदि इनएडीकवेसी के ग्राउंड पर पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के द्वारा राज्य के मामले में तथा केंद्र के मामले में उनके प्रॉसिक्यूटर द्वारा की जा सकती है।
पेटी अर्थात छोटे मामलों में कोई अपील नहीं होती है ,और यदि कानून में कोई प्रावधान नहीं है ,तो कोई अपील नहीं होगी।
यदि सेशंस द्वारा 3 माह की सजा और ₹200 फाइन किया गया है तो उसकी कोई अपील नहीं होगी, इसी प्रकार उच्च न्यायालय द्वारा यदि 6 माह की सजा और ₹1000 का फाइन किया गया है तो उसकी कोई अपील नहीं होगी ।यदि फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट ने ₹100 फाइन किया है तो उसकी कोई अपील नहीं होगी ।धारा 260सीआरपीसी में समरी ट्रायल में यदि ₹200 अर्थदंड किया गया तो उसकी भी कोई अपील नहीं होगी।यदि दो पनिशमेंट को जोड़ दिया दिया गया है तो अपील होगी।
यदि फाइंन के डिफाल्ट होने पर सजा विकल्प के रूप में दी जाती है, तो उसकी अपील नहीं होगी ।इसी प्रकार एक ही ट्रायल में कौन सी क्यूटिव सेंटेंस होने पर कोई अपील नहीं होगी।
यदि पार्टी अपना अपराध स्वीकार कर लेती है ,तो उसके अपील का अधिकार समाप्त हो जाता है एक पार्टी तब भी अपील कर सजा अधिक होने या इल्लीगल होने के आधार पर अपील कर सकती है।
पावर्स ऑफ़ अपीलेट कोर्ट, अपीलेट कोर्ट को यह अधिकार होता है कि वह सफिशिएंट ग्राउंड होने पर निर्णय को संशोधित करने के आदेश दे सकती है, उस आदेश को सुपीरियर कोर्ट पलट सकती है, एडिशनल इन्वेस्टिगेशन के आदेश दे सकती है, उसे मॉडिफाई कर सकती है ,चेंज कर सकती है, रिस्टोर कर सकती है फाइंडिंग को मॉडिफाई कर सकती है।
यदि आप जेल में हैं तो कैदी को ऑफिसर इंचार्ज ऑफ prison की अथॉरिटी से फॉरवर्ड कर आकर अपील करने का अधिकार होता है।
मृत्यु हो जाने पर अपील अभियुक्त के विरुद्ध एबेट हो जाती है।
इस प्रकार अपीलेट कोर्ट का डिसीजन तब तक अंतिम होता है, जब तक कि उसके ऊपर कोई अन्य न्यायालय का डिसीजन नहीं आता है।
#प्रोविजन आफ अपील इन क्रिमिनल केसेस,
#what are the provisions of appeal in criminal cases., parameter of law
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Комментарии
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Excellent Information, Thank you so much Respected sir ji.

preetiatlani
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Sir kon si publication ki bare act achhi hogi?

vickychandel