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Holi Aayi Re Kanhaai- 3 Stnz - With End Music
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रमेश सिप्पी की “शोले” आने पहले हर साल होली के त्यौहार पे पहला गाना अगर दिमाग में आता था तो वो “मदर इंडिया” का “होली आई रे कन्हाई ....”..... मगर पहले दूसरे तीसरे की बात छोड़िए, आज भी इस गीत के बिना हर किसी की होली अधूरी है.
निर्माता निर्देशक महबूब खान साहब की “मदर इंडिया” (1957) अपने समय की एक मेगा फिल्म थी. उस वक़्त की सबसे सफल और प्रसिद्ध हीरोइन नरगिस जी और और अपनी पहचान बनाने के लिए struggle करते हुए सुनील दत्त जी की प्रेम कहानी और फिर शादी इसी फिल्म से परवान चढ़ी ये किस्सा तो सब जानते ही हैं. पर हम बात करेंगे मशहूर नृत्यांगना सितारा देवी की. फिल्म में “होली आई रे कन्हाई ....” गीत से तुरंत पहले एक 30 – 35 सेकंड का होली स्ट्रीट डांस दिखाया गया है जिस में कुमकुम जी के साथ सितारा देवी जी ने (लड़के की पोशाख में) डांस किया था.
कत्थक शैली की विश्वविख्यात नृत्यांगना सितारा देवी के नाम से कौन परिचित नहीं. कलकत्ते में 1920 जन्मी सितारा देवी जी का नाम धनलक्ष्मी था और वो धन्नो के नाम से भी जानी जाती थी. वो “कथाकारों” (Story Tellers) के परिवार से थीं. उनके पिता सुखदेव महाराज ख़ुद बनारस घराने के कत्थक के कलाकार थे. महान कलाकार गोपीकृष्ण को भी उन्होंने कभी मार्गदर्शन किया था. सितारा देवी जी को शोहरत का शिखर पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा. मगर सफलता ने उनके क़दम चूमे. 11 वर्ष की उम्र में मुंबई में उन्हें सरोजिनी नायडू, रविंद्रनाथ टैगोर और सर कावसजी जहाँगीर जैसी विभूतियों के सम्मुख कत्थक नृत्य पेश किया. उनकी प्रतिभा से टैगोर जी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने एक बार उसे शाल और 50 रूपए देकर सम्मानित किया जो उन के लिए शायद सबसे बड़ा सम्मान था. “मदर इंडिया” के बाद सितारा देवी जी ने फिर किसी फिल्म में काम नहीं किया. 2014 में 94 साल की सितारा देवी जी ने दुनिया को अलविदा कहा.
न सिर्फ होली का, बल्कि मेरे ख़याल में ये शमशाद बेगम जी के गाए सबसे मधुर गीतों में से एक है. और ब्रज भाषा का इतना सुन्दर तड़का उन्होंने दिया है इस गीत में. वैसे तो भारत के सभी महत्वपूर्ण त्यौहार सभी धर्म के लोग समान आस्था से मनाते हैं पर होली में ये भाईचारा विशेष रूप से नज़र आता है. परंतु लोगों को धर्म के नाम बांटने वालों से मेरी विनती है कि, होली के दिन जब भी इस गीत को गुनगुनाएं तो इसे अमर करने वालों के नामों को भी याद करना न भूलें. निर्माता निर्देशक महबूब खान साहब, गीतकार जनाब शकील बदायूंनी, महान संगीतकार नौशाद जी, मधुर आवाज़ से इसे और भी मधुर करने वाली शमशाद बेग़म जी और परदे पर इसे भावनाओं के अनेक सुंदर रंगों से साकार करने वाली महान नरगिस जी.
सभी को मेरी तरफ़ से होली की बहुत बहुत शुभ कामनाएं !!!
निर्माता निर्देशक महबूब खान साहब की “मदर इंडिया” (1957) अपने समय की एक मेगा फिल्म थी. उस वक़्त की सबसे सफल और प्रसिद्ध हीरोइन नरगिस जी और और अपनी पहचान बनाने के लिए struggle करते हुए सुनील दत्त जी की प्रेम कहानी और फिर शादी इसी फिल्म से परवान चढ़ी ये किस्सा तो सब जानते ही हैं. पर हम बात करेंगे मशहूर नृत्यांगना सितारा देवी की. फिल्म में “होली आई रे कन्हाई ....” गीत से तुरंत पहले एक 30 – 35 सेकंड का होली स्ट्रीट डांस दिखाया गया है जिस में कुमकुम जी के साथ सितारा देवी जी ने (लड़के की पोशाख में) डांस किया था.
कत्थक शैली की विश्वविख्यात नृत्यांगना सितारा देवी के नाम से कौन परिचित नहीं. कलकत्ते में 1920 जन्मी सितारा देवी जी का नाम धनलक्ष्मी था और वो धन्नो के नाम से भी जानी जाती थी. वो “कथाकारों” (Story Tellers) के परिवार से थीं. उनके पिता सुखदेव महाराज ख़ुद बनारस घराने के कत्थक के कलाकार थे. महान कलाकार गोपीकृष्ण को भी उन्होंने कभी मार्गदर्शन किया था. सितारा देवी जी को शोहरत का शिखर पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा. मगर सफलता ने उनके क़दम चूमे. 11 वर्ष की उम्र में मुंबई में उन्हें सरोजिनी नायडू, रविंद्रनाथ टैगोर और सर कावसजी जहाँगीर जैसी विभूतियों के सम्मुख कत्थक नृत्य पेश किया. उनकी प्रतिभा से टैगोर जी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने एक बार उसे शाल और 50 रूपए देकर सम्मानित किया जो उन के लिए शायद सबसे बड़ा सम्मान था. “मदर इंडिया” के बाद सितारा देवी जी ने फिर किसी फिल्म में काम नहीं किया. 2014 में 94 साल की सितारा देवी जी ने दुनिया को अलविदा कहा.
न सिर्फ होली का, बल्कि मेरे ख़याल में ये शमशाद बेगम जी के गाए सबसे मधुर गीतों में से एक है. और ब्रज भाषा का इतना सुन्दर तड़का उन्होंने दिया है इस गीत में. वैसे तो भारत के सभी महत्वपूर्ण त्यौहार सभी धर्म के लोग समान आस्था से मनाते हैं पर होली में ये भाईचारा विशेष रूप से नज़र आता है. परंतु लोगों को धर्म के नाम बांटने वालों से मेरी विनती है कि, होली के दिन जब भी इस गीत को गुनगुनाएं तो इसे अमर करने वालों के नामों को भी याद करना न भूलें. निर्माता निर्देशक महबूब खान साहब, गीतकार जनाब शकील बदायूंनी, महान संगीतकार नौशाद जी, मधुर आवाज़ से इसे और भी मधुर करने वाली शमशाद बेग़म जी और परदे पर इसे भावनाओं के अनेक सुंदर रंगों से साकार करने वाली महान नरगिस जी.
सभी को मेरी तरफ़ से होली की बहुत बहुत शुभ कामनाएं !!!
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