Rahein Na Rahein Hum -Karaoke

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मशहूर निर्देशक असित सेन की फिल्म “ममता” (1966) अब भले ही दर्शकों की यादों के धुंधलके में चली गयी हो पर संगीतकार रोशन के गीत और ख़ासकर सुचित्रा सेन जी को भूलना असंभव है. बॉलीवुड की पहली “पारो”. 1955 की बिमल रॉय जी की “देवदास” उनकी Debut हिंदी फिल्म थी. इस रोल के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड भी हासिल हुआ. इस रोल में उनके अविस्मरणीय अभिनय से बाद में कई नायिकाओं ने प्रेरणा ली.

दरअसल ग्लैमर की दुनिया में होते हुए भी सुचित्रा जी भीड़भाड़ से हमेशा दूर रहना पसंद करतीं थीं. उनकी यही खासियत उनके फिल्मों के और रोल के चयन में भी झलकती थी. कई बार लोग उन्हें ‘मूडी’ (अलग मिज़ाज़ की) भी समझते थे. भारत के महान निर्माता निर्देशक सत्यजित रे जी ने, जिनके साथ काम करने के लिए हमेशा बड़े बड़े स्टार्स तरसते थे, 1960 में सुचित्रा जी को लेकर “देवी चौधरानी” नाम की फिल्म प्लान की. कहानी बंकिमचन्द्र चटर्जी की कहानी पर आधारित थी. सुचित्रा जी ने उन्हें मना कर दिया. रे साहब चाहते थे की उस फिल्म के बनने तक सुचित्रा जी सारी डेट्स उन्हें दें और अन्य प्रोजेक्ट्स पर काम बंद कर दें. सत्यजित रे जी इस फिल्म के लिए सुचित्रा जी के लुक्स में भी बदलाव चाहते थे. सुचित्रा जी ने इन शर्तों को मानने से इनकार कर दिया. सुचित्रा जी के इंकार के बाद सत्यजित रे जी इस फिल्म का प्रोजेक्ट ही छोड़ दिया.

सुचित्रा जी ने राज कपूर की फिल्म का प्रस्ताव भी ठुकरा दिया. राज साहब बड़ी उम्मीद लेकर उनके पास गए थे. मना करने की वजह ...? राज साहब एक बड़ा सा गुलदस्ता लेकर पहुंचे और फ़िल्मी अंदाज़ में घुटनों पर झुककर फिल्म स्वीकार करने की गुज़ारिश की. राज जी ने जिस फ़िल्मी अंदाज़ में प्रस्ताव रखा उससे सुचित्रा जी upset हो गईं और इंकार कर दिया.
सुचित्रा जी ने शोहरत की बुलंदी पर होते हुए भी फ़िल्मी दुनिया से दूर होने का निर्णय लिया. 1979 से उन्होंने एक तरह से फिल्मो से संन्यास लेकर गुमनामी का दामन थाम लिया. भारत सरकार ने 2012 में उन्हें दादासाहेब फालके अवार्ड से सम्मानित करने का फैसला लिया. मगर सुचित्रा जी ने इनकार कर दिया क्यूंकि वो पुरस्कार लेने उन्हें कलकत्ता से दिल्ली जाना पड़ता. (बाद में उस वर्ष का ये पुरस्कार मशहूर अभिनेता प्राण साहब को प्रदान किया गया)
सुचित्रा जी को 1963 में Moscow Film Festival में उनकी बंगाली फिल्म “सात पाके बांधा” के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड हासिल हुआ. ये सम्मान पाने वाली वो पहली भारतीय अदाकारा थीं.

1952 से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुवात करने वाली सुचित्रा जी ने अपने क़रीब 25 - 26 साल के फ़िल्मी करियर में बमुश्किल 61-62 फ़िल्में की हैं. और उस में भी बमुश्किल 7-8 हिंदी फ़िल्में. “ममता” असित सेन की ही बंगाली फिल्म “उत्तर फाल्गुनी” (1963) पर आधारित थी.
सुचित्रा जी की बातें बहुत हैं...किसी और गीत के साथ फिर से जुड़ेंगे. फिलहाल आप रोशन जी द्वारा संगीतबद्ध किया हुआ, मजरूह सुल्तानपुरी रचित और स्वर कोकिला लता दीदी द्वारा गाए इस सुंदर गीत के इस ट्रैक का आनंद लीजिए.
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Комментарии
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वा वा बहोत ही खुबसूरत मधूर गीत, दिल को छू लेने वाला .! और बहोत ही खुबसूरत सुंदर सा ट्रँक महत्वपूर्ण जानकारी के साथ दिल से धन्यवाद आपको 🙏❤💚💜💙💛

kumudkamble
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👍🌹🌹Like 7🌸 very beautiful karaoke thanks for sharing ravindra ji🌹🌹👌

mohanlal
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बेहद ख़ूबसूरत और मीठा गीत है। साथ में दी गई जानकारी भी बहुमूल्य है। सुचित्रा सेन जी के बारे में यह कहना होगा कि अपनी गरिमा उनके लिए सर्वोपरि रही

sunilshrivastava
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Bhai Sahib Namaste. Aapke tracks sabse badhiya hote hai. I admire you so much. God bless ❤

ashaverma
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Bahut khub Ravindra. You make lots of effort to give story behind the movie/song. And now even meaning of some of words in songs. Salute to hard work. Thank you.

kokilapatel
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Clean karaoke, very good, and very soothing

pratimadhole
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बहोत ही सुंदर track, और खुबसुरत गाना.

Suhazzz
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जितना सुरीला गीत उतना ही प्यारा ट्रैक।

AshokKumar-zknn
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Ravindra ji Agar in geeton ke tracks Ban sakte ho to Jarur banaaiye Badi Meherbani Hogi aapki (piye jao Jiye jao) Mukesh ji )(Na Apna Tha Jo kal Guzra) Mukesh ji) ( Insan Khilauna Hai Halaat ke Hath ka)( Rafi Sahab)🙏

mohanlal
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Bahut khubsurat gana track bhi bahut achcha hai

ansuyadhoot