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dussehra per nibandh | dussehra par nibandh hindi mein | dashara par nibandh | essay on vijayadashmi
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विजयदशमी (दशहरा)
प्रस्तावना-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। ये त्योहार हमारे जीवन में अनेक खुशियों लेकर आते हैं। इसलिए हमारे देश में विभिन्न त्योहार मनाये जाते हैं। विजयदशमी एक धार्मिक त्योहार है।
दशहरा मनाने के कारण- इस पर्व को मनाये जाने के अनेक कारण हैं कुछ विद्वानों का मानना है कि इस दिन रामचन्द्र जी ने लंका के राजा रावण को मारकर लंका पर विजय प्राप्त को थी। उस शुभ दिन को याद करने के लिए यह पर्व हर साल मनाया जाता है।
बंगाल में इसे दुर्गा पूजा का उत्सव कहा जाता है। गाँव गाँव, शहर शहर, गलियों और घरों में दुर्गा की पूजा होती है और लोग सज-धज कर दुर्गा की मूर्ति को नदी में विसर्जित करने जाते हैं।
दशहरा मनाने का समय व ढंग-विजयदशमी हमारे देश का एक धार्मिक पर्व है। यह आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। दस दिन पहले से घरों में दुर्गा पूजा प्रारम्भ हो जाती है जो दशमी को दुर्गा विसर्जन कर समाप्त होती है। स्थान-स्थान पर रामलीलाओं का आयोजन होता है जिसमें श्रीराम के सम्पूर्ण जीवन की घटनाओं को बहुत ही सुन्दर ढंग से जन-समुदाय के सामने प्रकट किया जाता है। बच्चे, बूढ़े, जवान सभी रामलीलाओं को बड़े चाव से देखते हैं। दशहरे के दिन बड़ी धूमधाम से रावण का वध कर उसका पुतला दहन होता है।
दशहरे को बहीखातों व तराजू-बोटों की पूजा करते हैं।
इस दिन कुछ लोग नीलकण्ठ पक्षी के दर्शन करना बहुत शुभ समझते है
उपसंहार—इस प्रकार विजयदशमी मानवता की दानवता पर, अच्छाई की बुराई पर, सत्य की असत्य पर विजय का त्योहार है। यह पर्व हमें अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध बहादुरी से लड़ने का सन्देश देता है।
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प्रस्तावना-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। ये त्योहार हमारे जीवन में अनेक खुशियों लेकर आते हैं। इसलिए हमारे देश में विभिन्न त्योहार मनाये जाते हैं। विजयदशमी एक धार्मिक त्योहार है।
दशहरा मनाने के कारण- इस पर्व को मनाये जाने के अनेक कारण हैं कुछ विद्वानों का मानना है कि इस दिन रामचन्द्र जी ने लंका के राजा रावण को मारकर लंका पर विजय प्राप्त को थी। उस शुभ दिन को याद करने के लिए यह पर्व हर साल मनाया जाता है।
बंगाल में इसे दुर्गा पूजा का उत्सव कहा जाता है। गाँव गाँव, शहर शहर, गलियों और घरों में दुर्गा की पूजा होती है और लोग सज-धज कर दुर्गा की मूर्ति को नदी में विसर्जित करने जाते हैं।
दशहरा मनाने का समय व ढंग-विजयदशमी हमारे देश का एक धार्मिक पर्व है। यह आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। दस दिन पहले से घरों में दुर्गा पूजा प्रारम्भ हो जाती है जो दशमी को दुर्गा विसर्जन कर समाप्त होती है। स्थान-स्थान पर रामलीलाओं का आयोजन होता है जिसमें श्रीराम के सम्पूर्ण जीवन की घटनाओं को बहुत ही सुन्दर ढंग से जन-समुदाय के सामने प्रकट किया जाता है। बच्चे, बूढ़े, जवान सभी रामलीलाओं को बड़े चाव से देखते हैं। दशहरे के दिन बड़ी धूमधाम से रावण का वध कर उसका पुतला दहन होता है।
दशहरे को बहीखातों व तराजू-बोटों की पूजा करते हैं।
इस दिन कुछ लोग नीलकण्ठ पक्षी के दर्शन करना बहुत शुभ समझते है
उपसंहार—इस प्रकार विजयदशमी मानवता की दानवता पर, अच्छाई की बुराई पर, सत्य की असत्य पर विजय का त्योहार है। यह पर्व हमें अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध बहादुरी से लड़ने का सन्देश देता है।
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